Sunday, 22 April 2018

One Last Time

आज जब पिछले दो सालों को याद करती हूँ, 
हँसते हँसते आँखें हल्की सी नम हो जाती हैं

एक आख़िरी बार आज मन चाहता है कि उन पलों को एक बार और जी लूँ 
जिनसे अच्छे से बात नहीं की, उनसे मन जोड़ लूँ
जिनके साथ बहुत हँसी, थोडा़ और हँस लूँ
जिनसे अनबन हुई थी, उन्हें गले लगाकर नई शुरूआत कर लूँ

एक आख़िरी बार आज मन चाहता है कि उन पलों को एक बार और जी लूँ 
Lectures में सबके साथ थोड़ी और मस्ती कर लूँ
College के canteen में थोडा़ और खा लूँ
Professors की बातें और ध्यान से सुन लूँ

एक आख़िरी बार आज मन चाहता है कि उन पलों को एक बार और जी लूँ 
Hostel में रात भर बैठकर assignment कर लूँ
सबके लिए रात के दो बजे dominos से पाँच large pizza order कर दूँ
Guard से छुपकर boys block में दारू पी लूँ

एक आख़िरी बार आज मन चाहता है कि उन पलों को एक बार और जी लूँ 
Birthday boy पे आटा, बियर, surf, egg, shampoo डाल दूँ
सबके साथ party करने pub जाऊँ और बेसुरे गाने गाऊँ 
रात भर ना सो कर, सुबह college में उबासी लूँ

एक आख़िरी बार आज मन चाहता है कि उन पलों को एक बार और जी लूँ 
Snapchat के map में सबको एक साथ, एक ही जगह(uniworld) पर एक आख़िरी बार देख लूँ
Instagram पे group pics पे senti comments लिख दूँ
Whatsapp group पे आख़िरी बार सबको हँसति हुई emoji भेजते हुए देख लूँ

एक आख़िरी बार आज मन चाहता है कि उन पलों को एक बार और जी लूँ 
सबको हँस कर गले लगा लूँ
सबसे जुड़े रहने का वादा ले लूँ
सबकी हँसती तस्वीर अपने मन में save कर लूँ

आज जब पिछले दो सालों को याद करती हूँ, 
हँसते हँसते आँखें हल्की सी नम हो जाती हैं

© Priyanka Bajaj

Saturday, 17 February 2018

तुम मेरे घर हो

जानते हो?
तुम मेरे घर हो।

माना तुम में मेरा पिंक कमरा नहीं है
पर पिंक कमरा तुम्हारे साफ़ दिल जितना सुकून भी नहीं देता।

तुम में मेरी अठखेलियों के लिए बाग़ीचा नहीं है
पर मेरी अठखेलियाँ हैं ही तुमसे।

स्वादिष्ट पकवान बनाने का रसोवड़ा नहीं है
पर तुम्हारी मीठी बातों से पेटभर जाता है।

सुनो,
तुम सिर्फ़ मेरे घर नहीं हो
मेरे घर के आँगन में बने मंदिर भी हो
तुम मुझे और मेरे ख़यालों को पवित्र रखते हो।

सुना है,
माँ के बिना घर, घर नहीं होता
लेकिन लाड़ तो तुम माँ सा ही करते हो।

कहते हैं,
घर हमारी रक्षा करता है
लेकिन तुम दूर रह कर भी मेरा ख़याल रखते हो।

मैं विदाई जैसे रीति रिवाज मानती नहीं
पर कभी हुई, तो चाहूँगी, तुम्हारे द्वारा हो मेरी विदाई।

हाँ, आँखें नम ज़रूर होंगी मेरी
लेकिन तुम वो घर हो जो मेरे पास आ सकता है
और मैं उसके पास जा सकती हूँ।
शायद इसलिए ज़्यादा दुख नहीं होगा।

जानते हो?
तुम मेरे घर हो।
तुम कुछ-कुछ मेरे प्रिय मित्र कृष्ण की तरह हो।

© Priyanka Bajaj

Tuesday, 30 January 2018

Hues of Blue

I have never lived in this room without you
Never have I ever felt these hues of blue

Like always, your bicycle stands still here
But your towel which hung on it, is not to be seen anywhere near

For the first time, I see your cupboard close
And no pile of shirts to toss

There is lot of space in the room to walk
Gone are your slippers, sports' shoes, formals and crocs

You filled all the water bottles before leaving
But there are no scoldings, which get me that water gulping

Your side of bed is clean like ever
But no sight of you, making hair, in front of mirror

For the first time, there is no movie on download, on my laptop, in forever
I miss your grooving, my crazy dancer

The A.C. is on at the temperature, you set
But nowhere are your hands to muffle me up under the blanket

Your speaker, today, is not playing any song
But my mind is screaming; for you, I long

Never have I felt such emptiness in this room
Never have I felt anything, but love, in this room

I have never lived in this room without you
Never have I ever felt these hues of blue


© Priyanka Bajaj